Sunday 26 February 2017

स्वर ,swar, hindi vowels

                         
                                                                         स्वर (vowels)


स्वर : स्वतंत्र रूप से बोले जानेवाले वर्ण स्वर कहलाते हैं |   परंपरागत रूप से तो इनकी संख्या 13 मानी गई है लेकिन उच्चारण की दृष्टि से इनकी संख्या 10 ही है |

                         अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ |

Monday 20 February 2017


रश्मिरथी प्रथम सर्ग भाग - 7

'जनमे नहीं जगत् में अर्जुन! कोई प्रतिबल तेरा,
टँगा रहा है एक इसी पर ध्यान आज तक मेरा।
एकलव्य से लिया अँगूठा, कढ़ी न मुख से आह,
रखा चाहता हूँ निष्कंटक बेटा! तेरी राह।

Thursday 9 February 2017

रश्मिरथी प्रथम सर्ग भाग - 6, rashmirathi pratham sarg bhag-6


रश्मिरथी प्रथम सर्ग भाग - 6

लगे लोग पूजने कर्ण को कुंकुम और कमल से,
रंग-भूमि भर गयी चतुर्दिक् पुलकाकुल कलकल से।
विनयपूर्ण प्रतिवन्दन में ज्यों झुका कर्ण सविशेष,
जनता विकल पुकार उठी, 'जय महाराज अंगेश।

Wednesday 8 February 2017

रश्मिरथी प्रथम सर्ग भाग - 5

'करना क्या अपमान ठीक है इस अनमोल रतन का,
मानवता की इस विभूति का, धरती के इस धन का।
बिना राज्य यदि नहीं वीरता का इसको अधिकार,
तो मेरी यह खुली घोषणा सुने सकल संसार।

'अंगदेश का मुकुट कर्ण के मस्तक पर धरता हूँ।
एक राज्य इस महावीर के हित अर्पित करता हूँ।'
रखा कर्ण के सिर पर उसने अपना मुकुट उतार,
गूँजा रंगभूमि में दुर्योधन का जय-जयकार।

कर्ण चकित रह गया सुयोधन की इस परम कृपा से,
फूट पड़ा मारे कृतज्ञता के भर उसे भुजा से।
दुर्योधन ने हृदय लगा कर कहा-'बन्धु! हो शान्त,
मेरे इस क्षुद्रोपहार से क्यों होता उद्‌भ्रान्त?

'किया कौन-सा त्याग अनोखा, दिया राज यदि तुझको!
अरे, धन्य हो जायँ प्राण, तू ग्रहण करे यदि मुझको ।'
कर्ण और गल गया,' हाय, मुझ पर भी इतना स्नेह!
वीर बन्धु! हम हुए आज से एक प्राण, दो देह।

'भरी सभा के बीच आज तूने जो मान दिया है,
पहले-पहल मुझे जीवन में जो उत्थान दिया है।
उऋण भला होऊँगा उससे चुका कौन-सा दाम?
कृपा करें दिनमान कि आऊँ तेरे कोई काम।'

घेर खड़े हो गये कर्ण को मुदित, मुग्ध पुरवासी,
होते ही हैं लोग शूरता-पूजन के अभिलाषी।
चाहे जो भी कहे द्वेष, ईर्ष्या, मिथ्या अभिमान,
जनता निज आराध्य वीर को, पर लेती पहचान।
रश्मिरथी प्रथम सर्ग भाग - 4 

'पूछो मेरी जाति , शक्ति हो तो, मेरे भुजबल से'
रवि-समान दीपित ललाट से और कवच-कुण्डल से,
पढ़ो उसे जो झलक रहा है मुझमें तेज-प़काश,
मेरे रोम-रोम में अंकित है मेरा इतिहास।

'अर्जुन बङ़ा वीर क्षत्रिय है, तो आगे वह आवे,
क्षत्रियत्व का तेज जरा मुझको भी तो दिखलावे।
अभी छीन इस राजपुत्र के कर से तीर-कमान,
अपनी महाजाति की दूँगा मैं तुमको पहचान।'

कृपाचार्य ने कहा ' वृथा तुम क्रुद्ध हुए जाते हो,
साधारण-सी बात, उसे भी समझ नहीं पाते हो।
राजपुत्र से लड़े बिना होता हो अगर अकाज,
अर्जित करना तुम्हें चाहिये पहले कोई राज।'

कर्ण हतप्रभ हुआ तनिक, मन-ही-मन कुछ भरमाया,
सह न सका अन्याय , सुयोधन बढ़कर आगे आया।
बोला-' बड़ा पाप है करना, इस प्रकार, अपमान,
उस नर का जो दीप रहा हो सचमुच, सूर्य समान।

'मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,
धनुष छोड़ कर और गोत्र क्या होता रणधीरों का?
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
'जाति-जाति' का शोर मचाते केवल कायर क्रूर।

'किसने देखा नहीं, कर्ण जब निकल भीड़ से आया,
अनायास आतंक एक सम्पूर्ण सभा पर छाया।
कर्ण भले ही सूत्रोपुत्र हो, अथवा श्वपच, चमार,
मलिन, मगर, इसके आगे हैं सारे राजकुमार।
                        रश्मिरथी प्रथम सर्ग भाग -3 

फिरा कर्ण, त्यों 'साधु-साधु' कह उठे सकल नर-नारी,
राजवंश के नेताओं पर पड़ी विपद् अति भारी।
द्रोण, भीष्म, अर्जुन, सब फीके, सब हो रहे उदास,
एक सुयोधन बढ़ा, बोलते हुए, 'वीर! शाबाश !'

द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,
अर्जुन को चुप ही रहने का गुरु ने किया इशारा।
कृपाचार्य ने कहा- 'सुनो हे वीर युवक अनजान'
भरत-वंश-अवतंस पाण्डु की अर्जुन है संतान।

Tuesday 7 February 2017

FEBRUARY DAYS - फ़रवरी डेज

FEBRUARY DAYS  


First Day of ValentineRose DayTuesday7th February 2017
Second Day of ValentinePropose DayWednesday8th Feb 2017
Third Day of ValentineChocolate DayThursday9th Feb 2017
Fourth Day of ValentineTeddy DayFriday10th Feb 2017
Fifth Day of ValentinePromise DaySaturday11th Feb 2017
Sixth Day of ValentineHug DaySunday12th Feb 2017
Seventh Day of ValentineKiss DayMonday13th Feb 2017
Valentine’s DayV. DayTuesday14th Feb 2017

रश्मिरथी भाग - 2 rashmirathi bhag - 2


रश्मिरथी भाग -  2 

अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,
कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से।
निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर,
वन्यकुसुम-सा खिला कर्ण, जग की आँखों से दूर।

नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल।

रश्मिरथी भाग - 1 rashmi rathi


रश्मिरथी भाग - 1

जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।
किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,
सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।

ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।

हिंदी वर्णमाला - hindi alphabet



वर्ण :  वर्णमाला की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है इस ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है|

वर्णमाला : वर्णों का व्यवस्थित समूह  वर्णमाला कहा जाता है|

    

Monday 6 February 2017

हिंदी चिह्न - hindi sign

अनुस्वार   =   ंं

चंद्रबिंदु    =  

विसर्ग      =   

अर्धचंद्र    =  

हल चिह्न   =   ्

 आगत व्यंजन   -    ख़       ज़       फ़   







                                                                     AKP

हिंदी संयुक्त व्यंजन - hindi sanyukt vyanjan

      हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर तथा 35 व्यंजन हैं | 

      संयुक्त व्यंजन चार हैं जो निम्नलिखित हैं 

क्ष  =      ( क्  +   ष )

त्र   =     ( त्   +   र )

ज्ञ   =    ( ज्   +  ञ )

श्र   =    ( श्   +   र )


                                                  AKP

Saturday 4 February 2017

हिंदी वर्णमाला - hindi varnmala




  हिंदी वर्णमाला 
स्वर 

 अ    आ   इ   ई   उ   ऊ   ऋ   ए   ऐ   ओ   औ 

व्यंजन 

क     ख     ग    घ     
 च     छ    ज    झ    
ट      ठ     ड    ढ      ण
 त      थ     द    ध     न
 प      फ     ब    भ     म
  य    र    ल    व
   श    ष    स    ह 
 क्ष    त्र    ज्ञ   श्र 
 ड़    ढ़

कृष्ण की चेतावनी - krishn ki chetavani


वर्षों तक वन में घूम-घूम,

बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,

सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,

पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।



मैत्री की राह बताने को,

सबको सुमार्ग पर लाने को,

दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।